आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया ⏳😢,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया ❤️,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए 🕰️⏳,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया! 😢😞
आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया ⏳😢,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया ❤️,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए 🕰️⏳,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया! 😢😞